Adani power yes bank paytm : सहित 1000 से ज्यादा स्टॉक पर NSE का बड़ा फैसला, क्या होगा असर?

shubham jain
4 Min Read

Adani power yes bank paytm : सहित 1000 से ज्यादा स्टॉक पर NSE का बड़ा फैसला

अदाणी पावर, यस बैंक, सुजलॉन, हडको, भारत डायनैमिक्स, भारती हैक्साकॉम, आईआरबी इंफ्रा, एनबीसीसी, पेटीएम, आईनॉक्स विंड, जेबीएम ऑटो सहित कुल 1010 स्टॉक लिस्ट से बाहर हो जाएंगे

हाल ही में NSE ने मार्जिन फंडिंग को लेकर बड़ा फैसला लिया है. NSE ने मार्जिन फंडिग के लिए गिरवी रखने के योग्य स्टॉक्स की लिस्ट में बड़ी कटौती की है. दरअसल स्टॉक मार्केट ने कोलेटरल से जुड़े नियमों का सख्त बना दिया है जिसकी वजह से 01 अगस्त से 1730 स्टॉक्स की लिस्ट में से 1010 स्टॉक बाहर होने लगेंगे. यानि ट्रेडर्स और कारोबारी आगे 720 स्टॉक्स को ही गिरवी रख कर पैसा जुटा सकेंगे 

समझें क्या है ये कदम

बैंक, वित्तीय संस्थान या फिर कोई भी कर्जदाता दिए गए कर्ज को सुरक्षित रखने के लिए कोई एसेट कोलेटरल के रूप में अपने रखता है जिससे कर्ज न चुकाने की स्थिति में इस एसेट की बिक्री से रकम वापस हासिल की जा सके. घर, प्लाट, गाड़ी, गोल्ड के साथ स्टॉक भी ऐसे ही एसेट होते हैं जिन पर कर्ज मिल सकता है. मार्जिन फंडिंग या मार्जिन ट्रेडिंग फेसिलिटी में ब्रोकर शेयरों में ट्रेडिंग के लिए कारोबारी के पास पहले से रखे शेयरों के बदले छोटी अवधि का कर्ज ऑफर करते हैं,

हालांकि हर शेयर को गिरवी नहीं रखा जा सकता. फंडिंग से जुड़े जोखिमों को देखते हुए बाजार इन शेयरों के लिए खास नियम रखता है. इन नियमों को पूरा करने वाले शेयरों को ही गिरवी रख कर पैसा पाया जा सकता है. यही नियम सख्त हुए हैं जिससे लिस्ट में शामिल शेयरों की संख्या आने वाले समय मे तेजी से घटेगी.

नए सर्कुलर के अनुसार सिर्फ ऐसे स्टॉक्स को कोलेटरल लिस्ट में शामिल किया जाएगा जहां बीते 6 महीने के दौरान 99 फीसदी सत्र में कारोबार देखने को मिला है और इनकी इंपेक्ट कॉस् यानि एक ट्रांजेक्शन पूरा करने की लागत एक लाख के ऑर्डर साइज पर 0.1 फीसदी से ज्यादा न रही हो. इन नियमों के आधार पर अदाणी पावर, यस बैंक, सुजलॉन, हडको, भारत डायनैमिक्स, भारती हैक्साकॉम, आईआरबी इंफ्रा, एनबीसीसी, पेटीएम, आईनॉक्स विंड, जेबीएम ऑटो सहित कुल 1010 स्टॉक लिस्ट से बाहर हो जाएंगे.

क्या होता है इसका फायदा क्या होगा फैसले का असर

मार्जिन ट्रेडिंग का फायदा कारोबारी और ब्रोकरेज हाउस दोनों को होता है. कारोबारी अपने पास मौजूद कम रकम के बावजूद ज्यादा बड़े सौदे कर सकता है क्योंकि ब्रोकर उन्हें अतिरिक्त फंड देने के लिए तैयार रहते हैं. वहीं ब्रोकर को ब्याज के रूप में अतिरिक्त आय होती है.

नए फैसले के बाद अब फंडिंग से जुड़े जोखिम घटेंगे क्योंकि नियमों के लागू होने के बाद लिस्ट में ऐसे स्टॉक होंगे जिनकी लिक्विडिटी काफी अधिक है और जो मजबूत स्टॉक माने जाते हैं. वहीं सीएनबीसी टीवी 18 के साथ खास बातचीत में एचडीएफसी सिक्योरिटीज के डायरेक्टर आशीष राठी ने कहा कि निवेशक अपने शेयर ब्रोकर के पास गिरवी रखते हैं फिर ब्रोकर इन शेयरों को क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के पास गिरवी रखता है. नए नियमों के बाद क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के पास शेयरों के गिरवी रखे जाने की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा क्योंकि कॉरपोरेशन अब पहले के मुकाबले कम शेयरों को स्वीकार करेगा. हालांकि उन्होने कहा कि इसका मार्जिन ट्रेडिंग फैसलिटी बुक पर खास असर नहीं पड़ेगा क्योकि मजबूत और लिक्विड स्टॉक लिस्ट में बने हुए हैं.

(डिस्क्लेमर: MARKETKIKHABARR.COM पर दी गई सलाहें या विचार एक्सपर्ट, ब्रोकरेज फर्म  के अपने निजी विचार हैं, वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके प्रति जिम्मेदार नहीं है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार या सर्टिफाइड एक्सपर्ट से राय जरूर लें.)

 

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *