भारत में सर्दियों के दौरान आमतौर पर गेहूं की फसल बोई जाती है. इसका महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि देश की ज्यादातर आबादी पौष्टिक खाने के लिए गेहूं पर निर्भर करती है.
सरकार का गेहूं के उत्पादन पर खास फोकस होता है. कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा के अनुसार, ज्यादा कवरेज के बीच इस साल देश का गेहूं उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद है. अक्टूबर में शुरू हुई सर्दियों की मुख्य फसल गेहूं की बुआई अब पूरी हो चुकी है. इस दौरान उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब उन टॉप तीन राज्यों में शामिल हैं, जहां गेहूं कवरेज के तहत क्षेत्र सबसे ज्यादा है. मुंडा ने पीटीआई-भाषा से कहा कि बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, गेहूं ज्यादा क्षेत्र में कवर किया गया है और हमें इस साल अच्छे उत्पादन की उम्मीद है.
बन सकता है गेहूं उत्पादन का नया रिकॉर्ड
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) के चालू रबी सीजन के अंतिम हफ्ते तक गेहूं की फसल का कुल रकबा 336.96 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 335.67 लाख हेक्टेयर था. भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक के मीना ने हाल ही में संकेत दिया कि देश चालू फसल वर्ष 2023-24 में 114 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का नया रिकॉर्ड हासिल कर सकता है, बशर्ते मौसम की स्थिति सामान्य रहे. फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 110.55 मिलियन टन रहा, जबकि इससे पिछली साल यह 107.7 मिलियन टन था.
अच्छी स्थिति में है फसल
इस साल गेहूं की फसल की संभावनाओं के बारे में बताते हुए कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फसल अच्छी स्थिति में है और अब तक फसल को किसी नुकसान की कोई रिपोर्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि मौजूदा ठंडे मौसम की स्थिति गेहूं और अन्य रबी फसलों की बढ़ोतरी के लिए अच्छी है.
उन्होंने कहा कि इस साल पंजाब और हरियाणा दोनों में कुल गेहूं क्षेत्र के 70 फीसदी से ज्यादा में जलवायु प्रतिरोधी बीज बोए गए हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि दोनों राज्यों ने इस साल कुल मिलाकर लगभग 59 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं बोया है. इस बीच कृषि मंत्रालय ने किसानों को बुआई पूरी होने के बाद गेहूं की फसल की देखभाल में मदद करने के लिए नियमित सलाह जारी करना शुरू कर दिया है