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TCS को तगड़ा झटका, अमेरिकी अदालत ने ठोका 194 मिलियन डॉलर का जुर्माना
TCS का मानना है कि इस मामले में उसके पास मजबूत तर्क हैं और वह उचित अदालत में समीक्षा याचिका/अपील के माध्यम से अपनी स्थिति का बचाव करेगी।
भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) पर अमेरिकी कोर्ट ने भारी-भरकम जुर्माना लगा दिया है। कंपनी ने इसकी जानकारी शुक्रवार को दी।
अरबो डॉलर का लगा जुर्माना
टाटा समूह की आईटी कंपनी के ऊपर डलास डिवीजन के नॉदर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ टेक्सास के यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 194 मिलियन डॉलर से ज्यादा का जुर्माना लगाया है।
स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में, कंपनी ने कहा, “… हम आपको सूचित करते हैं कि कंपनी को संयुक्त राज्य अमेरिका के जिला न्यायालय, उत्तरी जिला टेक्सास, डलास डिवीजन द्वारा पारित एक प्रतिकूल निर्णय प्राप्त हुआ है, जिसका विवरण परिशिष्ट ए में दिया गया है। कंपनी का मानना है कि इस मामले में उसके पास मजबूत तर्क हैं और वह उचित अदालत में समीक्षा याचिका/अपील के माध्यम से अपनी स्थिति का बचाव करेगी।”
यह जुर्माना ट्रेड सीक्रेट का दुरुपयोग करने के आरोप के कारण लगाया गया है।
कंप्यूटर साइंसेज कॉरपोरेशन (CSC) ने कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। CSX को अब डीएक्ससी टेक्नोलॉजी कंपनी के नाम से जाना जाता है।
कोर्ट का फैसला
अदालत के आदेशों के अनुसार, कंपनी 2016 के डिफेंड ट्रेड सीक्रेट्स एक्ट (DTSA) के तहत व्यापार रहस्यों के दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के जिला न्यायालय ने कहा कि आईटी कंपनी कुल $194.2 मिलियन के लिए जिम्मेदार है, जिसमें $56,151,583 कम्पनसेटरी डैमेज और $112,303,166 एक्जेम्पलरी डैमेज के रूप में शामिल हैं।
टीसीएस ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “अदालत ने यह भी आंका कि कंपनी 13 जून, 2024 तक $25,773,576.60 प्री-जजमेंट ब्याज के लिए जिम्मेदार है।”
भारतीय करेंसी में जुर्माने की टोटल रकम लगभग 1,622 करोड़ रुपये है।
कंपनी देगी चुनौती
इस महत्वपूर्ण निर्णय के बावजूद, टीसीएस ने कहा कि उसके पास इस फैसले को चुनौती देने के लिए मजबूत तर्क हैं और वह समीक्षा याचिका या उचित अदालत में अपील के माध्यम से अपनी स्थिति का बचाव करने के लिए तैयार है। कंपनी को 14 जून, 2024 को अदालत का आदेश प्राप्त हुआ।
टीसीएस का दावा है कि इस निर्णय से उसकी वित्तीय स्थिति या संचालन पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। कंपनी अपने हितों की रक्षा करने और इस फैसले से उत्पन्न कानूनी चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।