अगर कोई परीक्षा संबंधी गोपनीय जानकारी का खुलासा करता है और गैर-जरूरी यानी अनधिकृत लोगों को परीक्षा केंद्रों में एंट्री देता है तो इन अपराधों के लिए तीन से पांच साल तक की जेल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।
इस कानून से पहेले केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा परीक्षाओं के संचालन में शामिल संस्थाओं द्वारा किए गए फर्जीवाडों, धांधलियों, अनुचित तरीकों या अपराधों से निपटने के लिए कोई ठोस और कठोर कानून नहीं था।
अपराधियों के लिए अधिकतम 10 साल की जेल की सजा और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है
यह कानून आम चुनाव से पहले ही 6 फरवरी 2024 को लोकसभा में और 9 फरवरी को राज्यसभा में पास हो गया था। और 13 फरवरी को ही भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु ने इस बिल को मंजूरी भी दे दी थी और यह कानून बन गया था