. कंपनी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के अनुसार, इसके पार्ट्स घरेलू और विदेशी सप्लायर्स के कॉम्बिनेशन से मंगवाए जाते हैं। इनमें स्टील, इंजन और ट्रांसमिशन जैसे हिस्से शामिल हैं। वहीं, पार्ट्स और मटेरियल की कीमतों में बढ़ोतरी से इसके कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है

ऑटो कंपनी, उसकी सब्सिडियरी कंपनियां और उसका प्रमोटर HMC लंबित कानूनी मामलों में शामिल हैं और इनमें से किसी भी मामले में प्रतिकूल परिणाम उसके बिजनेस और फाइनेंशियल कंडीशन को प्रभावित कर सकता है।

HMIL की दो समूह कंपनियां, किआ कॉर्पोरेशन (Kia Corporation ) और किआ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Kia India Private Limited) एक ही तरह के बिजनेस में हैं जिससे हितों का टकराव हो सकता है। जो उसके व्यवसाय को प्रभावित कर सकता है।

Hyundai Motor India वर्तमान में अपने पैसेंजर वाहनों और पार्ट्स का निर्माण केवल चेन्नई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में करती है। प्लांट में किसी भी प्रकार की बाधा या रुकावट से उसके ऑपरेशन पर निगेटिव प्रभाव पड़ सकता है।

यात्री वाहनों और पार्ट्स में किसी भी प्रकार की वास्तविक या कथित दोष (defects) या डीलरों या थर्ड पार्टी के माध्यम से प्रदान की जाने वाली बिक्री और बिक्री के बाद की सेवाओं से उसके ब्रांड पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

सरकारी प्रोत्साहनों की अनुपलब्धता, कमी या उन्मूलन (elimination) से Hyundai के भारत के बिजनेस, संभावनाओं, फाइनेंशियल कंडीशन और कैश फ्लो पर महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

कंपनी ने नोट किया कि उसकी सफलता HMC की मार्केट ट्रेंड की पहचान करने और बदलती ग्राहक मांगों को पूरा करने की क्षमता पर निर्भर करती है। कंपनी को प्रॉफिटेबिलिटी को बनाए रखना या उसमें सुधार भी करना होता है।

Hyundai Motor India के ग्लोबल ऑपरेशन में चुनौतियां और रिस्क शामिल हैं जो कंपनी की लागत बढ़ा सकते हैं, उसके परिचालन परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं

कंपनी भारत में SUV मॉडल की बिक्री पर काफी हद तक निर्भर है। SUV या भविष्य में निर्भर किसी अन्य पैसेंजर वाहन मॉडल की मांग में कमी या उत्पादन में बाधा उसके संचालन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है।

यात्री वाहनों में तैनात तकनीकी प्लेटफार्म और सॉफ्टवेयर कंपनी की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन प्लेटफार्मों और सॉफ्टवेयर को बनाए रखने, अपग्रेड करने या अनुकूलित करने में विफलता उसके ऑपरेशन पर निगेटिव असर डाल सकती है।

कंपनी की लॉन्गचर्म कंपटीटिवनेस भारतीय EV बाजार के विकास और वैकल्पिक ईंधनों के अपनाने पर निर्भर करती है। इन मार्केट ट्रेंड की पहचान करने और EV के लिए ग्राहक मांगों को पूरा करने में विफलता उसके व्यवसाय को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।

कंपनी ने खुलासा किया कि उसके वारंटी रिजर्व भविष्य के वारंटी क्लेम को कवर करने के लिए अपर्याप्त हो सकते हैं, जिससे फाइनेंशियल स्थिति और परिचालन परिणामों (results of operations. ) पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

Hyundai Motor India द्वारा पहले सांविधिक बकाया (statutory dues ) के भुगतान में देरी की कुछ घटनाएं हुई हैं। भविष्य में कंपनी द्वारा सांविधिक बकाया के भुगतान में किसी भी देरी से जुर्माने लगाए जा सकते हैं।

विदेशी मुद्रा दरों (Foreign exchange rate) में उतार-चढ़ाव विभिन्न करेंसी में बिक्री और खर्चों के कारण उसकी वित्तीय परिणामों और इक्विटी शेयरों के मूल्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।